जब आप डॉक्‍टर के पास जाएं...

जब आप डॉक्‍टर के पास जाएं...

सेहतराग टीम

ये तो सब को पता है कि किसी भी बीमारी की स्थिति में डॉक्‍टर के पास जाना मरीज की मजबूरी होती है मगर डॉक्‍टर के पास जाने से पहले कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है। डॉक्‍टर आपकी सही प्रकार से जांच कर पाए उसके लिए इन बातों का विशेष महत्‍व होता है।

जीभ का रंग न बदलें

पान, पान मसाला, सुपारी, तंबाकू आदि खाकर न जाएं क्‍योंकि इनसे जीभ का रंग बदल जाता है। डॉक्‍टर आपकी जीभ का स्‍वाभाविक रंग चेक कर पाए इसके लिए जरूरी है कि आप इन पदार्थों को कम से कम उस समय इस्‍तेमाल में न लाएं जब आप डॉक्‍टर से मिलने जा रहे हों।

तापमान बढ़ाने वाली चीजें न लें

कभी भी गर्म दूध, चाय या कॉफी पीकर डॉक्‍टर से दिखाने न जाएं। ये पेय पदार्थ शरीर के स्‍वाभाविक तापमान में बदलाव कर देते हैं। इसके कारण डॉक्‍टर के यहां जब आपका तापमान जांचा जाता है तो वो स्‍वाभाविक नहीं रह पाता। ये स्थिति इलाज को प्रभावित कर सकती है।

ये ध्‍यान रखें कि रोग शुरू होने पर ही डॉक्‍टर की सलाह ले ली जाए क्‍योंकि देर होने पर कई बार बीमारी का इलाज मुश्किल हो जाता है और मरीज के ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।

डॉक्‍टर से कुछ न छिपाएं

कहते हैं कि डॉक्‍टर और वकील से कुछ नहीं छिपाना चाहिए। वकील का तो पता नहीं मगर डॉक्‍टर से सच में कुछ भी न छिपाएं क्‍योंकि छोटी सी छोटी जानकारी का छिपाना भी इलाज में बाधा बन सकता है। कई बार ये बाधा जानलेवा भी हो सकता है। कई बार कुछ रोग शर्मिंदगी की वजह बनते हैं मगर इनके बारे में डॉक्‍टर को पता होना जरूरी है।

धीरज धरें

डॉक्‍टर के पास जाने पर कई बार वहां भीड़ मिलती है। हो सकता है कि पूर्व अप्‍वायंटमेंट होने पर भी डॉक्‍टर आपको इंतजार करने को कहें क्‍योंकि कई बार एक मरीज का देखने में सामान्‍य से अधिक समय लग सकता है या हो सकता है कि आपात स्थिति में कोई मरीज लाया गया हो जिसे देखने के लिए डॉक्‍टर दूसरे मरीजों को इंतजार करने के लिए कह सकता है। ऐसे में गुस्‍सा जताने से बेहतर है कि आप शांति से अपनी बारी की प्रतीक्षा करें। प्रतीक्षा करने को अपनी इज्‍जत से जोड़कर देखना उचित नहीं होता है क्‍योंकि कई बार दूसरे मरीजों की जरूरत आपसे ज्‍यादा बड़ी हो सकती है और ऐसे में डॉक्‍टर के लिए उसे देखना पेशे और इंसानियत दोनों की मांग होती है।

जांच हमेशा पैसे की बर्बादी नहीं होते

कई बार डॉक्‍टर आपकी जांच करने के बाद कुछ टेस्‍ट करवाने के लिए कहते हैं। ये आम धारणा बनती जा रही है कि डॉक्‍टर ऐसा अस्‍पताल की कमाई बढ़ाने के लिए करते हैं मगर इस धारणा पर भरोसा करने से पहले एक बार सोचें। अब अधिकांश डॉक्‍टर मरीज को सलाह देते हैं कि वो अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी लैब से जांच करा सकता है। जाहिर है कि ऐसे में डॉक्‍टर का अपना कोई निजी स्‍वार्थ पूरा नहीं होता। तो बेहतर है कि डॉक्‍टर की नीयत पर शक करने के बदले आप वो जांच कराएं। कई बार ये जांच आपकी जान बचाने में सहायक हो सकते हैं।   

पुराने पर्चों का भी महत्‍व होता है

अपने पुरानी जांच रिपोर्ट, डॉक्‍टर के पर्चों को संभाल कर रखें और किसी नई बीमारी की स्थिति में डॉक्‍टर को ये सब दिखाएं क्‍योंकि बीमारी का इतिहास पता होने से इलाज की सटीकता सुनिश्चित की जा सकती है।

गूगल को परे रखें

अंत में, डॉक्‍टर की सलाह सुनें और उसे मानें। खुद डॉक्‍टर को सलाह देने की कोशिश न करें। गूगल के जरिये किसी बीमारी के बारे में जानकारी जुटाना कुछ हद तक ठीक है मगर ये जान लें कि आखिरकार बीमारी के बारे में विस्‍तृत पढ़ाई डॉक्‍टर ने की है, आपने नहीं। इसलिए डॉक्‍टर के पास जाने से पहले अपने गूगल ज्ञान को परे रख दें।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।